हिमाचल

बिजली बोर्ड की ओल्ड पेंशन व् विभिन्न भत्तों के मिलने का मामला हिमाचल के सियासी उठाकपटक व् लोकसभा चुनाव के कारण अभी तक फसा….

 

 

 

रवि तौमर : बिजली बोर्ड की ओल्ड पेंशन व् विभिन्न भत्तों के मिलने का मामला हिमाचल के सियासी उठाकपटक व् लोकसभा चुनाव के कारण अभी तक फसा हुआ है, हजारों कर्मियों के धरनाप्रदर्शन प्रदर्शन के बाद सरकार के आश्वासन के बाद भी मांगे पूरी न होने पर बिजली बोर्ड पेंशनर संघ ने फिर से संघठित होकर अपने हक की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है, हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड पेंशनर संघ इकाई पांवटा साहिब की पीडब्लूडी विश्रामगृह में मासिक सभा का आयोजन किया गया, जिसमे सरकार और बिजली बोर्ड द्वारा मांगे पूरी न होने पर फिर से आवाज बुलंद करने पर चर्चा हुई

हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड पेंशनर संघ इकाई पांवटा साहिब के अध्यक्ष एससी गुप्ता ने बताया कि नेशनल पे फिटमेंट टेबल को तैयार करने में सरकार ने अभी भी कई त्रुटियाँ रखी है, पेंशनरों को एरियल मिलने में सालों का वक्त लग जायेगा, जिससे पेंशनरों के अन्दर रोष व्यप्त है, उन्होंने सरकार से शीघ्र सही नेशनल पे फिटमेंट टेबल त्यार कर जल्द से जल्द पेंशनरों को एरियल मिल सकें,

उन्होंने बताया कि एक राजनेता केवल पांच वर्ष के लिए चुने जाते है और जीवन भर के लिए पेंशन का हक़दार हो जाता है, लैकिन जिस व्यक्ति हिमाचल प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में मीलों पैदल अपने कंधों पर बर्फ, आंधी, तूफान, व् अन्य कई प्रकार की आपदाओं में पोल व् तारों जेसे उपकारों का बोझ उठा कर साठ साल तक सेवाएं दी है, उनको सरकारें पैशन देने के हक में नजर नही आ रही है

उन्होंने बताया कि वेतन और भत्तों के देने में विलम्ब का कारण बोर्ड को घाटा बतया जो विजली बोर्ड पिछले कई सालों तक सरकारों को ऋण देता आया है, उन्होंने सरकार की मुफ्त बिजली की निति और बिजली बोर्ड के खराब प्रबंधन को घाटे का मुख्य कारण बताया है, बोर्ड प्रबंधन साल में करोड़ो रुपय के ऐसे उपकारों की खरीद में खर्च करता है, जिनका कोई उपयोग नही होता तथा बाद में स्क्रेप के रूप में बेच दिया जाता है, बोर्ड को करोड़ों की चपत लग जाती है

उन्होंने सुक्खू सरकार से बिजली बोर्ड प्रबंधन में सुधर करने और 38% और 50% महंगाई भत्ते की लंबित तीन किश्तों को जुलाई में जारी होने वाली नई किश्त से पहलेजारी करने की माँग की है, नई वितीय निति से सरकार पर वितीय बोझ बढ जायेगा, जिससे पिछली लंबित किश्तों में देरी की संभावनाएं अधिक हो जाएगी, इसलिए जल्द मांगों को पूरा न किया गया तो राज्य बिजली बोर्ड पेंशनर संघ हक की लड़ाई के लिए हमेशा तैयार है, मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ेगा

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