धर्मशाला

बौद्ध भिक्षु ने साकार किया झुग्गी वालों का ‘घर’ का सपना

 

बौद्ध भिक्षु ने साकार किया झुग्गी वालों का ‘घर’ का सपना

राकेश कुमार : धौलाधार पर्वत श्रृंखला के साये में धर्मशाला की झुग्गियों के निवासियों का अपने घर में रहने का सपना अब साकार हो रहा है। टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट ने केंद्र सरकार की समेकित आवास एवं स्लम विकास योजना (Integrated Housing and SlumDevelopment Scheme) के अंतर्गत धर्मशाला नगर निगम के सहयोग से चैतडू और सलांगड़ी के ऐसे दर्ज़नों गरीब लोगों को घर लेने में आर्थिक संबल एवं अन्य सहयोग प्रदान किया जो कई पीढ़ियों से इस दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे।

टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट के निदेशक भिक्षु जामयांग ने बताया कि उन्होंने संस्था की ओर से चिन्हित 29 झुग्गीवासियों में से 10 को अपने स्लम वेलफेयर प्रोग्राम के तहत 25-25 हजार रुपए के चेक दिए। शेष 19 को जल्द ही यह राशि दी जाएगी। इससे पहले टोंगलेन की
सहायता से 42 परिवार झुग्गी से निकल कर अपने घर में रह रहे हैं। टोंगलेन उन्हें गैस स्टोव एवं सिलेंडर, किचन के लिए आवश्यक बर्तन और बिस्तर उपहार में देता है।

डेढ़ लाख रुपए कीमत का मकान झुग्गी में रहने वाले लोगों को दिया जाता है। इसमें एक बेडरूम, एक लिविंग रूम, किचन और टॉयलेट और बिजली पानी की सुविधा होती है। केंद्र सरकार की यह योजना धर्मशाला नगर निगम बेहतरीन ढंग से लागू कर रहा है।

टोंगलेन हर मकान के लिए 25 हजार रुपए दे रहा है। झुग्गीवासी इसमें 25 हजार रुपए जोड़ कर मकान ले सकता है। शेष एक लाख रुपए जुटाने के लिए भिक्षु जामयांग बैंक से लोन दिलाने अथवा अन्य स्रोतों से प्रबंध के लिए प्रयास करते हैं। मकान के हकदार बने ज्यादातर लोगों को टोंगलेन के प्रयास से धर्मशाला नगर निगम में आउटसोर्स पर सफाई का काम मिला है। इससे वे बैंक की किश्त चुका सकते हैं।

भिक्षु जामयांग के अनुसार केंद्र सरकार की योजना को धर्मशाला नगर निगम बेहतरीन ढंग से लागू कर रहा है। लेकिन सबसे ज्यादा मुश्किल दशकों से झुग्गी में रह रहे मराठी और राजस्थानी मूल के लोगों के दस्तावेज तैयार करना होता है। टोंगलेन की टीम ने लगातार कोशिश करके उनके आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर कार्ड एवं अन्य कागज तैयार कराए ताकि उन्हें मकान मिल सके।

टोंगलेन की सहायता झुग्गीवासियों को सिर्फ घर दिलाने तक सीमित नहीं है। संस्था की टीम उन्हें गैस स्टोव और टॉयलेट उपयोग करने की जानकारी भी देती है। मकान मिलने के 6 महीने तक उनके लिए संस्था की हेल्पलाइन चालू रहती है ताकि कोई दिक्कत आने पर जरूरी रिपेयर या अन्य सहायता की जा सके।

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टोंगलेन की सहायता से मकान मिलने के बाद बुजुर्ग सुलीचंद ने भावुक होकर कहा, ” मैं 40 साल से झुग्गी में रह रहा था। कभी सोचा भी नहीं था कि मैं अपने घर में रहूंगा। भला हो टोंगलेन का जिनकी मदद से आज यह दिन देखने को मिला है। मेरे जैसे बहुत से लोगों और उनके बच्चों को नई जिंदगी मिली है।”

जन्म से झुग्गियों में रह रहीं नीलम, कल्पना और लताशा तो भिक्षु जामयांग से 25-25 हजार रुपए के चेक लेते हुए फूट-फूट कर रो पड़ी। उन्होंने कहा, “हमें विश्वास ही नहीं हो रहा कि अब हम जल्द ही अपने घर में शिफ्ट हो जाएंगी। अब हम बच्चों की परवरिश और पढ़ाई ठीक ढंग से करा सकेंगे। जामयांग गुरू जी का शुक्रिया।”

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