हिमाचल में NTT भर्ती- 6,297 पदों के लिए 14 कंपनियां लेंगी आवेदन
शिमला – हिमाचल प्रदेश के युवाओं के लिए अच्छी खबर है। राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्यभर में 6,297 प्री-प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह प्रक्रिया लंबे समय से लंबित थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद दोबारा शुरू किया गया है।
कैसे होगी भर्ती?
इस भर्ती को अंजाम देने की जिम्मेदारी हिमाचल प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड (HPSEDC) को सौंपी गई है। HPSEDC ने इसके लिए 14 पंजीकृत निजी आउटसोर्सिंग कंपनियों का चयन किया है, जो शिक्षा खंड स्तर पर विज्ञापन जारी करेंगी और चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगी। यह प्रक्रिया जून के पहले सप्ताह से शुरू होने की संभावना है।
क्या हैं पात्रता शर्तें?
इन पदों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ निर्धारित की गई हैं:
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उम्मीदवार हिमाचल प्रदेश का मूल निवासी होना चाहिए।
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बारहवीं कक्षा में न्यूनतम 50% अंक अनिवार्य हैं।
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अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं दिव्यांग उम्मीदवारों को 5% अंकों की छूट दी जाएगी।
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अभ्यर्थी के पास नर्सरी टीचर ट्रेनिंग (NTT), प्री-स्कूल एजुकेशन या प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा में दो वर्षीय डिप्लोमा या नर्सरी B.Ed. होनी चाहिए। इन योग्यताओं वाले अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
क्या होगा वेतनमान?
चयनित अभ्यर्थियों को प्रदेश के सरकारी स्कूलों की नर्सरी और केजी कक्षाओं में “प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा प्रशिक्षक” के रूप में नियुक्त किया जाएगा। इन प्रशिक्षकों को ₹10,000 मासिक पारिश्रमिक दिया जाएगा। इस राशि में सेवा प्रदाता एजेंसी का शुल्क, जीएसटी और अन्य प्रशासनिक व्यय शामिल होंगे।
काम की निगरानी और प्रशासनिक प्रावधान
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प्रशिक्षक संबंधित स्कूल के सबसे वरिष्ठ शिक्षक की निगरानी में कार्य करेगा।
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समग्र प्रशासनिक नियंत्रण जिला उपनिदेशक (शिक्षा) के पास रहेगा।
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किसी भी प्रशिक्षक का वियोजन बिना सरकारी अनुमति के संभव नहीं होगा।
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नामांकन या प्रशासनिक कारणों से स्थानांतरण केवल प्राथमिक शिक्षा निदेशक की सलाह से ही किया जा सकेगा।
क्यों रुकी थी यह प्रक्रिया?
गौरतलब है कि इस भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत पूर्ववर्ती सरकार के समय हुई थी, लेकिन हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश के कारण इसे रोकना पड़ा था। अब सुप्रीम कोर्ट से स्थगन आदेश मिलने के बाद इस प्रक्रिया को दोबारा शुरू किया गया है। स्कूल शिक्षा निदेशक कार्यालय द्वारा स्कूलवार रिक्तियों की पहचान की जा रही है