भारतीय सैन्य इतिहास में नया अध्याय: एनडीए में पहली बार महिला कैडेट्स की परेड
भारतीय सैन्य इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ने जा रहा है। नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) के 148वें कोर्स की पासिंग आउट परेड में पहली बार 17 महिला कैडेट्स, 300 से अधिक पुरुष कैडेट्स के साथ कदम से कदम मिलाकर परेड ग्राउंड पर मार्च करेंगी। त्रिसेवा प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षित ये कैडेट्स नौसेना और वायुसेना में अधिकारी बनेंगी। वर्ष 2021 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद महिलाओं को एनडीए में प्रवेश की अनुमति दी गई थी, और अब इसका प्रत्यक्ष परिणाम पूरे देश के सामने है। यह दृश्य नए भारत की सोच और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है।
बराबरी की ओर ऐतिहासिक कदम
इस परिवर्तन की नींव अगस्त 2021 में रखी गई थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने एक दूरदर्शी निर्णय लेते हुए महिलाओं को भी एनडीए और नौसेना अकादमी की प्रवेश परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी। यह केवल एक कानूनी निर्णय नहीं था, बल्कि भारतीय सैन्य सेवाओं में लैंगिक समानता की दिशा में क्रांतिकारी कदम था। याचिका के माध्यम से उठाई गई आवाज ने देश की नीतियों को एक नई दिशा दी, और आज उसका परिणाम नए भारत के समक्ष गर्वपूर्वक खड़ा है।
नया भारत, नई सोच
आज भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी न केवल बढ़ रही है, बल्कि वे नेतृत्वकारी और निर्णायक भूमिकाओं में दिखाई दे रही हैं। लड़ाकू विमानों से लेकर अग्रिम मोर्चों तक, महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी योग्यता का परिचय दे रही हैं। एनडीए से स्नातक हो रही ये 17 कैडेट्स भी आने वाले वर्षों में भारतीय सेना के आधुनिक और समावेशी स्वरूप को आकार देने में अहम भूमिका निभाएंगी।
हर मोर्चे पर सशक्त नारी
हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारतीय नारी अब केवल सहनशीलता का प्रतीक नहीं, बल्कि कार्रवाई और नेतृत्व की भी मिसाल है। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह जैसी महिला अधिकारी न केवल मिशन की अगुवाई कर रही हैं, बल्कि समाज को यह भी बता रही हैं कि अब महिलाएं निर्णायक भूमिका निभाने में पीछे नहीं हैं। यह बदलाव सैन्य ताकत के साथ-साथ सामाजिक चेतना और नारी गरिमा का भी प्रतीक है।
नीति और नेतृत्व का प्रभाव
इस बदलाव के पीछे केंद्र सरकार की दूरदर्शी नीतियों की अहम भूमिका रही है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘सुकन्या समृद्धि योजना’, ‘उज्ज्वला योजना’ और ‘जननी सुरक्षा योजना’ जैसी पहलों ने महिला शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता को केंद्र में रखा है। एनडीए में महिलाओं की भागीदारी इसी व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसमें नारी को केवल सम्मान नहीं, बल्कि नेतृत्व का अवसर भी दिया गया है।
संस्कृति और आधुनिकता का संगम
भारत में नारी सदा से ‘शक्ति’ के रूप में पूजित रही है। देवी दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती के रूप में नारी को श्रद्धा के साथ स्वीकारा गया है। आज का भारत इस श्रद्धा को केवल प्रतीकात्मकता तक सीमित नहीं रखता, बल्कि इसे कार्यरूप में बदलते हुए महिला वैज्ञानिकों, सैनिकों, न्यायाधीशों और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से साकार कर रहा है।
एक युगांतकारी क्षण
एनडीए से पासआउट हो रही ये 17 महिला कैडेट्स केवल सैन्य इतिहास में एक अध्याय नहीं जोड़ रही हैं, बल्कि वे आने वाली पीढ़ियों के लिए नई प्रेरणा, नया मार्गदर्शन और नए भारत के निर्माण की मिसाल बन रही हैं। वे यह सिद्ध कर रही हैं कि नारी अब केवल आराधना की पात्र नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की सशक्त भागीदार भी है।