हिमाचल में खानपान की लापरवाही बन रही किडनी की दुश्मन – बढ़ रहे CKD के मामले
हिमाचल प्रदेश में अब खानपान की लापरवाही और बिगड़ती जीवनशैली का सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ने लगा है।
प्रदेश के अस्पतालों में पेट दर्द की शिकायत लेकर पहुंचने वाले कई मरीजों में किडनी की गंभीर बीमारी सामने आ रही है।
क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) अब हिमाचल में एक खामोश महामारी का रूप लेती जा रही है।
शिमला बना सबसे बड़ा हॉटस्पॉट
HPU द्वारा किए गए एक विस्तृत अध्ययन में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि शिमला जिला CKD मामलों में सबसे आगे है।
वर्ष 2014 से 2023 के बीच IGMC में पहुंचे 2,609 मरीजों में से करीब 40% केवल शिमला से हैं।
👉 2017 में CKD मरीजों की संख्या 6% थी, जो 2023 में बढ़कर 16.9% हो गई।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि किडनी की बीमारी प्रदेश में कितनी तेजी से पैर पसार रही है।
किन जिलों में बढ़ रहे हैं मामले?
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मंडी – 14.5%
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सोलन – 10%
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कुल्लू – 8.6%
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लाहौल-स्पीति – 0.6% (कम जनसंख्या और भौगोलिक कारण)
IGMC शिमला की नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. कामाक्षी सिंह के अनुसार,
👉 शुगर, हाई ब्लड प्रेशर, यूरिन में प्रोटीन, और गुर्दे की अंदरूनी बीमारियां – CKD की मुख्य वजहें हैं।
HPU के शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि
👉 शुद्ध पेयजल की कमी, गलत खानपान, तंबाकू, शराब, तनाव और अस्त-व्यस्त जीवनशैली भी बीमारी को बढ़ावा दे रहे हैं।
यह भी सामने आया है कि कुछ इलाकों में पानी में अधिक क्लोरीन की मात्रा भी किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है।
पुरुषों में ज्यादा खतरा
अध्ययन के मुताबिक –
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60.2% मरीज पुरुष और
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39.8% महिलाएं थीं।
सबसे ज्यादा मामले 57 वर्ष से अधिक आयु वालों में सामने आए हैं।
कम उम्र के बच्चों में यह बीमारी फिलहाल बहुत कम है, लेकिन अगर लाइफस्टाइल में बदलाव नहीं आया, तो आने वाले वर्षों में तस्वीर और भी भयावह हो सकती है।
इलाज महंगा, चेतावनी सस्ती
CKD का इलाज बेहद महंगा और जटिल है।
डायलिसिस से लेकर ट्रांसप्लांट तक का सफर – एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए भारी पड़ सकता है।
इसलिए सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
सरकार और जनता दोनों को चेतने की जरूरत
यह रिपोर्ट हिमाचल की सरकार, स्वास्थ्य विभाग और आम जनता – सभी के लिए एक सख्त चेतावनी है।
अब वक्त है खानपान सुधारने, पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, और सक्रिय जीवनशैली अपनाने का।
🛑 क्योंकि अगर आज नहीं चेते – तो कल हो सकता है बहुत देर हो जाए।